इलियिच रामीरेज़ साचेज़ उर्फ़ कार्लोस द जकाल,एक ऐसा नाम जिसने 21 सालों तक दुनियाभर की पुलिस और ख़ुफ़िया एजेंसियों के पसीने छुड़ा दिए.वेश बदलने में निपुण और कई भाषायों में इसे महारत हासिल थी,जिसकी वजह से यह इतने सालों तक कई देशो की पुलिस की आँख में धुल झोंकता रहा.कार्लोस संगठन पी.एफ.एल.पी (पिलिस्तीं को इस्राइल से आज़ाद कराने वाला संगठन).में सन 1970 में भर्ती हुआ था.
27, जून 1975,यह वो तारीख थी जिस दिन कार्लोस ने अपने सबसे पहले सफल जुर्म को अंजाम दिया.एक पार्टी के दौरान डी.एस.टी. की तरफ से पूछताछ के लिए आये 2 पुलिसवालों और 1 मुखबिर पर कार्लोस ने गोलियाँ चलाई.जिसमे उन तीनो की मौत हो गयी.और पार्टी में ही कोई अन्य ही गोली लगने की वजह से 1 घायल हो गया.
लेकिन वो घटना जिसने कार्लोस के नाम को दुनिया के सामने ला खड़ा किया.वह घटी 21 दिसंबर 1975,बिएना,जो की ऑस्ट्रिया की राजधानी है.कार्लोस ने अपने 5 साथियों के साथ ओपेक की मीटिंग में आये सभी अधिकारियो को बंधक बनाया और उन्हें रिहा करने के एवज में अपने 42 पिलिस्तिनी आतंकवादियों को छोड़ने की मांग की.ऑस्ट्रियाई सरकार को कार्लोस की मांग के आगे झुकना पड़ा और फलस्वरूप 24 घंटे के अन्दर ऑस्ट्रियाई सर्कार को 42 आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा.इस काम के लिए साउदी अरब की सरकार ने ईरान की ओर से कार्लोस को 5 मिलियन डॉलर्स दिए थे.यह पता चलने पर पी.एफ.एल.पी. ने कार्लोस को संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया.नतीजन,कार्लोस को सिर छुपाने को भी जगह न थी.ऐसे में उसने तब की जर्मनी पुलिस स्टार्सी से हाथ मिलाया और पैसो के लिए उनके काम करने लगा.स्टार्सी के लिए काम करते हुए भी उसने कई जुर्मो को अंजाम दिया--
- 22 अप्रैल 1982,पेरिस (अल-वतन-अल-अरेबी के दफ्तर में एक कार से बम धमाका)-1 औरत की मौत,63 घायल.
- 25 अगस्त 1983, वेस्ट बर्लिन, जर्मनी (फ्रेंच क्लचर सेंटर में बम धमाका)-1 की मौत,25 घायल.
- 31 दिसंबर 1983,पेरिस रेलवे स्टेशन (एक ट्रेन में बम धमाका)-5 की मौत,50 घायल.
कई लोगो का यह भी मानना है की कार्लोस ने रूसी ख़ुफ़िया एजेंसी के.जी.बी. के लिए भी काम किया है.
स्टार्सी के लिए काम करने के दौरान ही कार्लोस ने एक महिला आतंकवादी मेग्दालिना कोप्प से शादी की और उनके एक बेटी भी हुई.लेकिन 1982 में एक बम धमाका करने की कोशिश में मेग्दालिना पेरिस में पकड़ी गई.जिसके बाद अगले 9 सालों तक कार्लोस अलग-2 देशो में छुपता रहा.1991 में कार्लोस को सीरिया भी छोड़ना पड़ा और सूडान में पनाह पाई.3 साल तक सूडान में रहने के बाद 1994 में फ्रांस और अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियों ने कार्लोस को सूडान में ढूंढ़ निकला.लेकिन उसे वह से लाने के लिए फ्रांस की सरकार को सूडान की सरकार रिश्वत देनी पड़ी.कार्लोस के पास भागने का कोई रास्ता न रहे इसके लिए कार्लोस के सुरक्षा कर्मियों के द्वारा ही उसे नशे की दवा दी गयी.14 अगस्त 1994 को ऐसी नशे की हालत में ही सूडान से फ्रांस ले जाया गया.
तब से वह फ्रांस की जेल में बंद है.उस पर 1982-83 में हुए बम धमाको का केस चल रहा है.1975 के केस में उसे उम्रकैद की सज़ा सुनाई जा चुकी है.हाल ही में कार्लोस को धमाको के लिए भी ज़िम्मेदार ठहराया जा गया है.जिसके लिए उसे दोबारा उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई.आज कार्लोस 62 वर्ष का है.तो उम्रकैद की सज़ा कहा तक उन लोगो के साथ न्याय कर सकती है,जो कार्लोस के खूनी खेल के मोहरे बने.कार्लोस के इस पागलपन ने 18 लोगो की जान ली और 200 से भी ज्यादा लोग घायल हुए.70 और 80 के दशक में कार्लोस खौफ और आतंक का पर्याय था.ऐसे इंसान के लिए अगर देखा जाये तो दो जन्मों की उम्रकैद भी कम है और फ़ासी तो बिलकुल नाकाफी है.
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